Aalhadini

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Murder or trap 9

  


 
अंजू ने उस सवाल का जवाब देने में बहुत ज्यादा समय लिया और फिर एक गहरी सांस भरकर कहा, "मुझे नहीं लगता कि अनीता को उसके पापा से मिलना इतना कुछ खास पसंद रहा होगा। शादी होने के बाद वह पग फेरे के लिए भी उनके घर नहीं गई थी। कई बार दीप के पास उसके पापा का कॉल आता था.. पर अनीता बात करने से भी मना कर देती थी।" अंजू ने कहा।

"ऐसा करने की कोई खास वजह..??" मृदुल ने पूछा।

"लग्ज़री..! रॉयल और आरामदायक जिंदगी किसे नहीं पसन्द.. मायका बहुत गरीब हैं ना उसका तो ये सारी सुख सुविधाएं कहाँ मिलती वहां.. इसीलिए नहीं गई होगी..??" अंजू ने अपने आपको बहुत महान और अनीता को लालची और 
मतलबी साबित करने के उद्देश्य से कहा।

 "एक और लास्ट क्वेश्चन मैम..! आप बता सकती है कि अनीता पूरे टाइम घर पर करती क्या थी?? मतलब उसका टाइम कहां गुजरता था??" मृदुल ने पूछा।

 "अपने कमरे में ही रहती थी.. कई बार दीप ने भी  उसे कुछ बनाने के लिए कहा था.  तो किचन में जाकर उसने इतनी तोड़फोड़ मचाई थी कि अगली बार हम लोगों ने उससे कुछ भी काम करने से भी मना कर दिया था।" अंजू ने जवाब दिया।

 "ओके मैम..! थैंक यू.. अपना कीमती टाइम हमें देने के लिए! अब मैं चलता हूं!!" कह कर मृदुल कमरे से बाहर चला गया। 

मृदुल वापस हाॅल में तभी उसे चिराग का कॉल आया और चिराग ने उसे फॉरेंसिक रिपोर्ट के बारे में जानकारी दी। मृदुल ने चिराग से बात करके जैसे ही फोन रखा.. तभी जीत उसे बाहर से आता हुआ दिखाई दिया।  जीत ने मृदुल को देखकर बहुत ही गर्मजोशी से हेलो कहते हुए हाथ मिलाया। 

 "हेलो इंस्पेक्टर..! सो गुड टू सी यू अगेन..!!"

 "सेम हेयर जीत साहब..!!" मृदुल ने भी उसी गर्मजोशी से हाथ मिलाते हुए कहा।

"क्या यार..! इतना बुढ़ा नज़र आने लगा हूं कि तुम जीत साहब कह कर मुझे एड्रेस करोगे?? यह साहब वाहब का सीन इंडिया में ही चलता है। तो मुझे बहुत ज्यादा ऑक्वर्ड फील मत करवाओ। जस्ट कॉल मी जीत..!!" जीत ने ज्यादा फाॅर्मेलिटीज़ ना करते हुए कहा।

"ओके जीत..! ठीक है..!!" कहकर मृदुल हंस दिया।

 "बताइए..! आज आने की कोई खास वजह..??"
 
"बस आपकी भाभी के मिसिंग केस की री-इन्वेस्टिगेशन कर रहे हैं!!" मृदुल ने बताया।

"गुड..! तो कहां तक पहुंची आपकी गाड़ी..??"

 "कहां..!! अभी तो बस स्टार्ट ही हुई है!! पर कोई ना.. जल्दी ही डेस्टिनेशन पर भी पहुंच जाएगी।" मृदुल ने मुस्कुराते हुए कहा।

 जीत ने मृदुल की तरफ देखा और सोफे पर चल कर बैठने के लिए इशारा किया। 

"यार देखो..! खड़े-खड़े मुझसे ज्यादा बातें नहीं होती। इसलिए फॉर्मेलिटीज छोड़ो और बैठ कर बात करते हैं।"  फिर जीत ने आवाज दी..
 "शानू दो कप कॉफी और पानी ले आईये..!!"

 एक ही मिनट में मेड तुरंत ही दो गिलास पानी लेकर आई और उसने मृदुल और जीत को पानी का ग्लास दिया और वापस किचन में चली गई। 

"बताइए..! आप इस केस को री-इन्वेस्टिगेट कर रहे हैं तो मुझसे भी कुछ सवाल करना चाहते ही होंगे।" जीत ने सोफ़े पर बैठते हुए पूछा।

 "बिल्कुल इसीलिए तो मैं यहाँ आया हूं।" मृदुल ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

 "मैं बस यह जानना चाहता हूं कि अनीता के बारे में जो आपने बताया था वह ठीक था या फिर जो आपकी फैमिली बोलती है.. वो सही है..??" मृदुल ने हॉल में रखे सोफ़े पर बैठते हुए सवाल किया।

"इंस्पेक्टर..! अनीता को मैंने फर्स्ट टाइम मेरे कॉलेज में देखा था। उस टाइम वह कॉलेज की सबसे ज्यादा एक्टिव और ब्रिलियंट स्टूडेंट्स में थी.. हर एक्टिविटी में वह सबसे आगे रहती थी। वह मेरे भाई दीप से कैसे मिली..?? यह तो मुझे नहीं पता.. पर कॉलेज वाली अनीता और मेरे भाई दीप की वाइफ अनिता में जमीन आसमान का अंतर था।  जहां वह खुशमिजाज, मस्त मौला और सबको हंसाने वाली थी.. वही शादी के बाद वह गुमसुम रहने वाली, गुस्सैल और पूरे टाइम अपने कमरे में बंद रहने वाली हो गई थी।  शादी से पहले जब वह कॉलेज में थी तब पूरे कॉलेज में उसके बनाए खाने की तारीफें होती थी। उसका मैक्सिमम टाइम किचन में ही बीतता था। मुझे नहीं पता कि यहां आने के बाद ऐसा क्या हुआ कि अनीता के बिहेवियर में इतना ज्यादा चेंज आ गया।  पर शायद कुछ बड़ा ही हुआ होगा वरना इतना ज्यादा चेंज और वो भी अनीता जैसी लड़की में आना.. नेक्स्ट टू इंपासिबल है..!!" जीत ने कुछ गहरी सोच में डूब कर बताया।
 
"आप घर पर रहते हैं और आपको यह नहीं पता कि चेंज आने का रीजन क्या था..??" मृदुल ने पूछा।
 
"नहीं इंस्पेक्टर..! मैं यहां नहीं रहता.. मेरी दीप से बहुत ज्यादा बनती नहीं है। हम दोनों को एक दूसरे का लिविंग स्टाइल,और काम करने का तरीका पसंद नहीं है।  इसीलिए मैं हमारे फॉरेन वाले बिजनेस को संभालता हूं।" जीत ने बताया।

 "तो फिर आपके यहां आने का रीजन क्या था??" मृदुल ने पूछा।

"गुरुजी..!! हर साल गुरुजी के आश्रम में एनुअल फंक्शन होता है.. दादी उस फंक्शन के लिए बहुत पर्टिकुलर है.. तो उसे ही अटेंड करने के लिए मुझे आना पड़ा था।" जीत ने अपने आने की वजह बताई।

"वैसे और कुछ भी पूछना हो तो अभी पूछ सकते हैं.. मेरी रात की फ्लाइट है.. उसके बाद आपके सवालों के जवाब मुझसे मिलना मुश्किल होगा!!" जीत ने अपने जाने के बारे में जानकारी मृदुल को दी।

"बिल्कुल जीत..!! मुझे अभी तो कुछ और नहीं पूछना है.. पर शायद शाम तक कुछ याद आ जाए।" ये कहते हुए मृदुल सोफ़े से उठ खड़ा हुआ और अपना विजिटिंग कार्ड देते हुए बोला, "जीत..!! कभी भी तुम्हें लगे कि कोई जरूरी बात जो तुम्हें याद आ रही हो.. मुझे कॉल करके एनीटाइम बता सकते हो।"

"आपके पापा से भी कुछ पूछताछ करनी थी.. इस वक़्त वो कहां मिलेंगे..??" मृदुल ने जीत  से पूछा।

"पापा तो अभी क्लब में होंगे.. इस टाइम वो गोल्फ खेलने के लिए जाते हैं।" 

"तो फिर उनसे बात किस टाइम हो पाएगी..??" मृदुल ने पूछा।

"आप इसके बारे में रनवीर से बात कीजिए..! यही बेस्ट ऑप्शन होगा.. अदरवाइज़ आपको पता नहीं कितने चक्कर काटने पड़ेंगे।" जीत ने बताया।

"रनवीर.. इस टाइम कहां मिलेंगे..?? मेरे दोनों कुलीग्ज भी यहां पहुंचते ही होंगे.. हमें दीप साहब के कमरे में फिर से इन्वेस्टिगेशन करनी है.. साथ ही साथ किचन और गार्डन में भी।" मृदुल ने अपनी आगे की प्लानिंग जीत को बताई।

"रनवीर को मैं अभी बुला देता हूं तब तक आप यही बैठकर मेरे साथ कॉफी पीजिये।" जीत ने कहा तभी मेड वहां ट्रे में कॉफी के साथ कुछ स्नैक्स लेकर आ गई।

मृदुल जीत के कहने पर वहीं सोफ़े पर बैठ गया और उसके साथ कॉफी पीने लगा। जीत ने रनवीर को कॉल करके वही बुला लिया।

"रनवीर..! मृदुल को आपसे कुछ काम है तो आप अभी आकर उनसे मिल लीजिए।" इतना बोलकर जीत ने कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया।

कुछ ही देर में रनवीर वहां पहुंच गया और उसके साथ ही साथ चिराग और रूद्र ने भी एंट्री ली। रुद्र और चिराग को देखकर जीत बहुत खुश हो गया और उतनी ही गर्मजोशी से मिला जितनी गर्मजोशी से मृदुल से मिला था। 

 जिस समय रुद्र और चिराग अंदर आए.. उन्हें देखते ही जीत सोफ़े से उठ खड़ा हुआ और चलकर रुद्र के पास पहुंचा।  उसने रूद्र और चिराग दोनों से ही हाथ मिलाया और उन्हें सोफे पर चलकर कुछ देर बैठने के लिए कहा। 

 "हेलो ऑफिसर्स..! आइए कुछ देर हमारे साथ भी बैठिए.. चाय नाश्ता कीजिए। फिर पता नहीं कब मुलाकात हो।"  यह कहते हुए जीत रूद्र और चिराग को सोफे तक ले आया। उसने मृदुल से भी कहा,  "अब तो आप कुछ देर बैठ सकते हैं.. अब तो आपको कोई प्रॉब्लम नहीं होगी।"

 मृदुल सिर हिलाते हुए वापस से सोफे पर जाकर बैठ गया। रनवीर वही एक साइड खड़ा हुआ सबको देख रहा था। जीत ने उससे कहा, "तुम वहां क्यों खड़े हो..? तुम्हें अलग से इन्विटेशन देना होगा बैठने के लिए..?"

 रनवीर ने ना में सर हिलाया और सोफे तक आ गया। वो जैसे ही बैठने वाला था.. उससे कुछ याद आया और वह वापस चला गया। जीत ने उसे रोकना चाहा था तो रूद्र ने उसे रोक लिया। 

 "जाने दीजिए जीत साहब..! हो सकता है उन्हें कोई जरूरी काम हो।  वैसे भी हम यहां अकेले तो बैठे हैं नहीं.. हमें कंपनी देने के लिए आप जो हमारे साथ हैं।" रूद्र की यह बात सुनकर जीत के चेहरे पर एक बड़ी सी स्माइल आ गई और उस ने मुस्कुराते हुए कहा,  "बिल्कुल मैं आपको कंपनी देने के लिए ही यहां बैठा हूं। लेकिन यह कंपनी सिर्फ आज के लिए ही है। कल से अगर आप यहां आते हैं तो आपको रनवीर की ही कंपनी शेयर करनी पड़ेगी।"

 "ऐसा क्यों..??" चिराग ने पूछा।

 "ऐसा इसलिए चिराग कि मैं इंडिया में तो रहता नहीं हूं। हमारा बिज़नेस फॉरेन कंट्रीज में भी फैला हुआ है.. तो इंडिया का बिजनेस दीप संभालता है और फॉरेन कंट्रीज् का मैं।  इसलिए दीप इंडिया में रहता है और मैं बाहर। आज की शाम की मेरी फ्लाइट है.. तो मुझे आज शाम को ही निकलना होगा।" जीत ने कहा।

जीत की बात खत्म होते ही रनवीर किचन की तरफ से आता हुआ दिखाई दिया। उसके पीछे पीछे एक मेड आ रही थी.. जिसके हाथ में एक ट्रे थी.. जिसमें कुछ कप रखे हुए थे। मेड ने आकर वह ट्रे टेबल पर रख दी और सबके लिए कॉफी सर्व करके चली गई।

 रनवीर ने सबको कॉफी के कप उठाकर दिए और कहा, "आप लोग भी थोड़ा थक गए होंगे तो कॉफी पीकर रिलेक्स और रीचार्ज हो जाइए। ताकि आप अपनी इन्वेस्टिगेशन जल्दी से जल्दी खत्म कर पाए।" 
रनवीर की बात सुनकर सभी हल्के से मुस्कुरा दिए और कॉफी पीने लगे।

 कॉपी का सिप लेते हुए मृदुल ने पूछा, "रनवीर दीप के पापा और दीप से ही बात करना बाकी बचा है.. तो उन लोगों से बात कब तक हो पाएगी।"

 रनवीर ने कुछ सोचते हुए अपने मोबाइल को निकाला और कुछ चेक करने लगा।  पांच से सात मिनट के बाद उसने जवाब दिया,  "अखिल अंकल से तो आप कल मिल सकते हैं.. लेकिन दीप सर से मिलने के लिए आपको एक-दो दिन वेट करना होगा। दीप सर आउट ऑफ टाउन हैं उनके आते ही मैं आप लोगों की उनके साथ मीटिंग अरेंज करवा दूंगा।" रनवीर ने कहा। 

 ऐसे ही बातें करते करते सभी ने अपनी कॉफी खत्म कर ली थी। कॉफी का आखिरी सिप लेकर रूद्र ने कहा, "तो जीत साहब आप अब हमें इजाजत दीजिए। हम भी अपना काम खत्म कर ले।"

 ऐसा कहकर रुद्र, मृदुल और चिराग तीनों सोफे से उठ खड़े हुए। उनके खड़े होते ही रनवीर और जीत भी खड़े हो गए और जीत ने कहा,  "ओके.. इंस्पेक्टर.. अगर आप शाम तक यहीं रहते हैं तो आप जाते समय  मुझसे मिलकर जाइएगा।"

 ऐसा कह कर जीत ने उनसे हाथ मिलाया और एक कमरे की तरफ चला गया।  रनवीर ने उन्हें दीप के कमरे तक छोड़कर आने के लिए इशारा किया और कहा, "आइए मैं भी आपको दीप सर के बेडरूम तक छोड़ देता हूं।"

 ऐसा कह कर रनवीर आगे-आगे चल दिया और उसके पीछे पीछे रुद्र,  मृदुल और चिराग एक दूसरे की तरफ देखते हुए धीरे-धीरे आगे जा रहे थे। रनवीर ने बेडरूम का दरवाजा खोला और कहा, "आप लोग जो भी इन्वेस्टिगेशन करना चाहते हैं.. कर लीजिए!!"
 
रूद्र,  मृदुल और चिराग तीनों ही कमरे के अंदर चले गए। कमरे के अंदर जाते समय उन्होंने अपने अपने ग्लव्ज हाथों में पहन लिए थे। 
 
रूद्र ने अपनी जेब से एक अलग सा दिखाई  देने वाला कैमरा निकाला। रूद्र ने चिराग को कमरे की सारी लाइट्स बंद करने के लिए कहा, "चिराग रूम की सभी लाइट्स ऑफ कर दो।"

 चिराग ने रूद्र की तरफ नासमझी से देखते हुए पूछा,  "हम लाइट्स बंद कर देंगे तो ढूंढेंगे क्या..??"

 रूद्र ने अपने सर पर हाथ मारते हुए कहा,  "हे भगवान..! यह मैं किस को हमेशा साथ लेकर घूमता हूं। तुम लोग जितना कहा जाए उतना कर दो.. कुछ देर बाद सारी बातें तुम्हें अपने आप समझ आ जाएंगी।"

 जैसे ही चिराग ने लाइट्स ऑफ की रूद्र ने अपनी जेब से निकालकर एक यूवी/ आईआर टॉर्च ऑन कर दी..उसकी रोशनी आंखों को चुभने वाली थी.. इसीलिए मृदुल और चिराग ने अपनी आंखें बंद कर ली थी। 

रूद्र ने अपनी जेब से एक चश्मा निकाल कर खुद पहना और एक-एक मृदुल और चिराग को दे दिया और कहा, "तुम भी यह चश्मे पहन लो ताकि तुम्हें यह ना कहना पड़े कि यह लाइट हमारी आंखों को तकलीफ पहुंचा रही है।"
 
"अरे यार..! तुझे भी ना पहले से कोई बात बताने में जोर आता है..?" चिराग में चिढ़कर कहा।

 "नहीं जोर तो नहीं आता.. पर जो काम करके दिखाया जा सकता है.. उसे समझाने में अपना टाइम क्यों वेस्ट करना!!" रूद्र ने चिराग के सर पर टपली मारते हुए कहा। 

 "अब ज्यादा बातें मत बना और ये टॉर्च पकड़!!" रुद्र ने ऐसा कहते हुए एक टॉर्च चिराग को पकड़ा दी।

 मृदुल अभी भी ऐसे ही खड़ा हुआ था तो उसे खाली देखकर रुद्र ने अपने जेब से एक और टॉर्च निकाली और उसे भी पकड़ने के लिए दे दी। टॉर्च मृदुल को देने के बाद रुद्र ने कहा, "कमरे की हर एक चीज पर अच्छे से लाइट मार कर देखो।  अगर कहीं भी कोई निशान या किसी भी तरह का कुछ शक पैदा करने वाली चीज तुम्हें दिखती है तो तुम उसी समय मुझे बताओगे। मैं जब तक इस केमरा से उसे स्कैन करके फोटो क्लिक करता हूं। कल जो हमें खून का स्पोट मिला था.. उसके हिसाब से यहां पर कुछ और भी मिलना चाहिए।"

 इतना कहकर तीनों ने कमरे के हर एक कोने.. हर एक चीज पर यूवी लाइट मारकर देखना शुरू कर दिया।  तीनों अलग-अलग कोनों में जाकर इन्वेस्टिगेशन कर रहे थे। मृदुल ने अपनी टॉर्च बेड पर मारी तो उसे वहां कुछ खरोंचने के जैसे निशान दिखाई दिए।  उन्हें देखते ही मृदुल ने रूद्र को अपनी तरफ बुलाया और उनकी फोटो खींचने के लिए कहा।

"रुद्र देखो..!! बेड पर कुछ खरोंचों के निशान दिखाई दे रहे हैं।" मृदुल ने बहुत ही धीरे से बोलते हुए रुद्र को इशारे से बुलाया।

रुद्र ने आकर उसकी फोटो क्लिक की और मृदुल से कहा, "और भी बहुत कुछ मिलेगा तुम देखो।"

रुद्र ने वापस जाकर अपने कैमरा की मदद से सर्च करना शुरू कर दिया। बेडरूम की दीवार पर कुछ पटकने के निशान दिखाई दे रहे थे.. ये निशान दीवार पर लगी टीवी के पास ही थे.. ये खून के निशान थे। खून के निशान.. बहुत अच्छे से साफ करने के बाद भी यूवी / आईआर लाइट में दिखाई देते है। खून की यूनीक  प्रॉपर्टिज् की वजह से।

रुद्र ने उन स्पॉट्स की फोटो क्लिक की.. और आसपास फिर ढूंढने लगा। मृदुल को एक जगह देखने पर हाथ का निशान दिखाई दिया.. वो निशान भी खून का ही था। मृदुल ने रुद्र को बुलाया और कहा, "देखो रुद्र..!! खून लगी हथेली का निशान है यहां..!!" 

मृदुल की ये बात सुनते ही चिराग और रुद्र दोनों वहाँ आ गए और रुद्र ने उस निशान की भी फोटो क्लिक कर ली। तीनों एक दूसरे से उन खून के निशानों के बारे में बात कर रहे थे।

"मुझे लगता है कि जो फोन वाले बन्दे ने कमिश्नर साहब को कहा था.. ये खून भरी हथेली के साफ़ किए निशान को देखकर लगता है कि उसकी इन्फॉर्मेशन बिल्कुल ठीक थी।" मृदुल ने रुद्र की तरफ देखते हुए कहा।

"हाँ..!! मुझे भी यही लगता है कि हम बिल्कुल सही डायरेक्शन में काम कर रहे हैं। तुम्हारा क्या कहना है चिराग..?" रूद्र ने चिराग को कहीं खोया देख कर उसे हिलाते हुए पूछा।

"अं..!! हाँ.. क्या कह रहे थे तुम..??" चिराग ने खोए रहते हुए पूछा।

"ध्यान कहां पर है.. तुम्हारा..?" मृदुल ने चिराग को डाँटा।

"इतने इम्पोर्टेन्ट काम के टाइम भी तुम्हारा ये हाल है।" रुद्र ने भी चिराग को सुनाया।

इतना सुनने के बाद भी चिराग कहीं मुँह खोले देख रहा था।

"क्या..???" मृदुल ने चिराग को लगभग झकझोरते हुए पूछा।

ऐसे झकझोरे जाने पर चिराग ने एक तरफ इशारा किया। वहां कुछ लिख कर मिटाया हुआ नज़र आ रहा था। वो लोग इस समय इंफ्रारेड लाइट की टॉर्च का यूज कर रहे थे.. जिससे देखने पर खून के साफ किए निशान भी देखे जा सकते हैं।

सेव मी…!! फ्रोम दीप..!!

उसे देखते ही मृदुल और रूद्र का भी मुँह चिराग की तरह ही खुला का खुला रह गया था। उन्होंने सोचा भी नहीं था कि इस तरह की भी कोई चीज़ उन्हें इन्वेस्टिगेशन के टाइम मिल सकती थी।

कुछ देर तक उस लिखाई को देखने के बाद उन्हें थोड़ा समय का ध्यान आया तो.. रुद्र ने फटाफट से फोटो खींचना शुरू कर दिया।

उसके पास ही कुछ दूरी पर बहुत सा खून बिखरने और उसे साफ करने के निशान थे.. और साथ ही एक निशान वहां से किसी को घसीटे जाने का भी था। रुद्र बहुत ही तेजी से वहां पर फोटोज क्लिक करने में लगा हुआ था।  वह घसीटे जाने के निशान कमरे से बाहर जा रहे थे।

 रूद्र ने मृदुल और चिराग को साथ में बाहर चलने का इशारा किया और कमरा खोल कर वह लोग बाहर आ गए।  बाहर गैलरी में वह निशान कुछ गायब से हो गए थे.. पर थोड़ी थोड़ी दूर पर कुछ खून के छीटें गिरने के निशान दिखाई दे रहे थे। वह निशान सीढ़ियों से उतर कर किचन की तरफ जाने वाले रास्ते पर बने हुए थे। 

 रुद्र, मृदुल और चिराग तीनों ही उन निशानों का पीछा करते हुए किचन तक पहुंच गए थे।  वहां पर एक मेड काम कर रही थी। 

मेड ने उनसे पूछा,  "आपको कुछ चाहिए सर..??"

 "नहीं..! बिल्कुल भी नहीं!! अगर आपको बहुत ज्यादा तकलीफ ना हो तो कुछ देर हमें किचन में अकेला छोड़ देंगे।" रूद्र ने मेड से कहा तो  मेड ने हां में सर हिलाया और किचन से बाहर चली गई। 

 रूद्र ने मृदुल और चिराग की तरफ देखते हुए  इशारा किया,  "पूरे किचन को छान मारो..! डेफिनेटली यहाँ पर हमें कोई ना कोई सबूत जरूर मिलेगा।"

 मृदुल और चिराग ने पूरा किचन बारीकी से छान मारा। हर एक कैबिनेट, हर एक डोर और हर एक बर्तन उन्होंने बहुत बारीकी से देखा था.. पर उन्हें कुछ भी नहीं मिला।  किचन में ऐसी कोई भी चीज नहीं दिखाई दी जो थोड़ा भी शक पैदा कर सकें। उस किचन में हर चीज इतनी सफाई से रखी हुई थी.. किसी को कोई अंदाजा भी नहीं लग रहा था कि कुछ गड़बड़ हुई होगी।

 रूद्र ने किचन स्लैब पर ध्यान से कुछ ढूंढना शुरू किया।  ढूंढते ढूंढते वह बर्तन धोने के सिंक तक पहुंच गया। उसने सिंक को बहुत ध्यान से देखा तो सिंक होल के पास उसे कुछ फंसा हुआ नजर आया। 
 
वह एक छोटा सा कपड़े का टुकड़ा जैसा दिख रहा था.. पर बर्तन धुलने और पूरे टाइम पानी जाने की वजह से वह बहुत ही ज्यादा गला हुआ दिखाई दे रहा था। रुद्र ने प्लकर की मदद से बहुत ही आराम से उस टुकड़े को वहां से निकाला। वो टुकड़ा थोड़ा जला हुआ सा दिखाई दे रहा था। रूद्र ने उसे बहुत ही ध्यान से देखा और फिर उसको जिप लॉक बैग में पैक कर दिया।

 रूद्र ने सिंक के आसपास कुछ जलने के निशान ढूंढना शुरू कर दिया। उसने मृदुल और चिराग से कहा, "मृदुल.. चिराग.. कुछ मिला तुम लोगों को..??"

 "नहीं रुद्र..! अभी तक कुछ भी नहीं मिला है।" मृदुल और चिराग दोनों का यही जवाब था।

 "तो फिर एक काम करो.. यहां पर आसपास कुछ जलने का निशान ढूंढो..!" रुद्र ने उन्हें इंस्ट्रक्शन दिए।

"क्यों..? क्या हो गया..??" मृदुल ने नासमझी से पूछा।

 "पहले तुम ढूंढो तो सही..! हो सकता है उन निशानों से बहुत कुछ पता चल जाए!!"  रूद्र ने उन दोनों को भी जलने के निशान ढूंढने के लिए काम पर लगा दिया था। आसपास दीवारों पर उसे कुछ भी ऐसा नहीं मिला था.. जिससे लगे कि वहां कुछ चीज चलाई गई होगी। दीवारें टाइल्स की थी तो वहां पर कुछ मिलना भी लगभग असंभव ही था। 

 अचानक रुद्र की नजर सिंक के ऊपर लगे लैंप पर गई।  उस लेम्प के शेड ने पूरे सिंक को कवर किया हुआ था। उसके अंदर एक एल ई डी बल्ब लगा हुआ था। बल्ब पर और उस लैम्प की छतरी पर कुछ कालिख जमी हुई थी। रुद्र ने जब वह कालिख देखी तो उसने मृदुल और चिराग को अपनी मदद करने के लिए बुला लिया।

 "मृदुल और चिराग तुम दोनों को कुछ मिला क्या..??"

 "नहीं रुद्र..! अभी तो कुछ नहीं मिला!" मृदुल ने कहा।

 "तो फिर तुम दोनों यहां आकर मेरी कुछ मदद कर दो!!"  रूद्र के कहने पर मृदुल और चिराग दोनों ही रुद्र के पास आ गए और पूछा,  "बताओ क्या करना है..??"

 रूद्र ने उस लैंप शेड की तरफ इशारा करते हुए कहा,  "इसे उतारना है..!"

 "क्यों..?? क्या हुआ..??"  चिराग ने पूछा।

 "इस बार हमें कुछ सबूत मिलने वाले हैं!" रुद्र ने खुश होकर कहा।

 "इस पर किस तरह के सबूत मिलेंगे..?" चिराग ने पूछा।

 "इस पर कुछ जलने के कारण जमा हुआ धुंआ और उस धुएँ की कालिख मिलेगी.. हमें उसी की जरूरत है फिलहाल..!"  रूद्र के कहने पर मृदुल और चिराग में आसपास देखा तो उन्हें एक छोटा सा स्टूल रखा हुआ दिखाई दिया। चिराग उस स्कूल को उठाकर ले आया और उस पर चढ़कर बहुत ही सावधानी से उस लैंप शेड को उतारा।

 रूद्र ने बहुत ही सावधानी से लैंपशेड से बल्ब को निकाल कर एक बैग में पैक कर दिया और बाकी लैंपशेड पर जमा हुई कालिख को बहुत ही सावधानी से खुरच कर इकट्ठा किया.. और उसे एक जिपलॉक बैग में पैक कर दिया। 

 रुद्र ने मृदुल से कहा, "इस सिंक में कुछ जलाया गया था.. उसी का धुआं इस लैंप शेड पर जमा हुआ था।  हो सकता है कि जिस कपड़े से उस खून को साफ किया गया है.. उसे इसी सिंक में  जलाया गया हो ताकि कोई भी सबूत ना मिले। उसके अलावा भी कुछ और यही मिलना चाहिए।" ऐसा कहते हुए रुद्र ने आगे कहा, 

"फिर से पूरी किचन के सामान को, हर एक कैबिनेट, ड्रॉअर और हर एक दीवार को बहुत ही बारीकी से देखो हमें और भी कुछ सबूत यहीं मिलने चाहिए।"

 किचन की हर एक चीज बहुत ही बारीकी से मृदुल,  चिराग और रूद्र देख रहे थे पर इस के अलावा उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। थोड़ी देर ढूंढने के बाद भी जब कुछ नहीं मिला तो उन लोगों ने किचन से बाहर निकलने का मन बना लिया।

 रूद्र ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि हमें अब यहां कुछ और भी मिल सकता है.. हो सकता है कि यहां और कुछ ना हो। इसलिए हमें अपना और ज्यादा टाइम वेस्ट ना करते हुए कहीं और सबूत ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए।"

 रुद्र ने इतना कहा और किचन से बाहर चला गया। मृदुल भी उसके पीछे-पीछे किचन से बाहर चला गया.. पर चिराग को वहां पर कुछ ना कुछ मिलने की इंस्टिंक्ट आ रही थी। चिराग को पता नहीं क्यों यह लग रहा था कि ना हो किचन में अभी भी बहुत कुछ ऐसा था.. जो उनके बहुत काम आ सकता था।

 चिराग ने दोबारा से एक सरसरी नजर पूरे किचन पर डाली।  वहां पर उसे कुछ भी शक करने लायक नहीं दिख रहा था। बस किनारे से बहुत सी  चीटियां फ्रिज के पीछे जाती हुई दिखाई दे रही थी। जैसे ही चिराग ने यह देखने के लिए फ्रिज के पीछे झांका के चीटियां कहां जा रही थी?? तभी वहां से एक छिपकली कूदकर उसके ऊपर आ गिरी। ऐसे अचानक छिपकली के आकर गिरने से चिराग अपना संतुलन खो बैठा और गिर गया।

 वह छिपकली झटके से फ्रिज के पीछे दीवार में एक छोटा सा छेद बना हुआ था.. वहां घुस गई। चिराग बहुत ही ज्यादा अचंभित हुआ कि छिपकली  किस तरह से दीवार में आने जाने के लिए रास्ता बना सकती थी.. पर इस रास्ते के लिए बारे में जानने के लिए चिराग को थोड़ी जिज्ञासा हो रही थी। उसने यही जानने के लिए फ्रिज को सरकाना शुरू कर दिया। 
 
दूसरी तरफ रुद्र और मृदुल जब दोनों किचन के बाहर निकल रहे थे तो उन्होंने चिराग को अपने साथ बाहर ना आया देख कर वापस किचन में उसे देखने के लिए गए। चिराग वहां फ्रिज को सरकाने की कोशिश कर रहा था.. पर वह फ्रिज डबल डोर थी.. एक बड़ी अलमारी से भी बड़ी और भारी थी।
 
चिराग को इस तरह से फ्रिज को सरकारने की कोशिश करते देख रुद्र ने पूछा,  "अब यह तुम क्या करने की कोशिश कर रहे हो..?"

 चिराग ने कहा, "सबूत ढूंढने की कोशिश कर रहा हूं..?"

 "अब तुम्हें यहां फ्रिज के पीछे कौन से सबूत मिलने वाले हैं..??" मृदुल ने चिराग के सर पर टपली मारते हुए पूछा।

 "अरे यार..! तुम लोग ढूंढो तो सबूत और मैं ढूंढने की कोशिश करूं तो बेवकूफी.. कहां का न्याय है यह..??" चिराग ने थोड़ा ड्रामा करते हुए कहा। 

 "बस..! बस..! ज्यादा नौटंकी करने की जरूरत नहीं है। फ्रिज ही तो सरकाना है ना.. हम अभी सरकवा देते हैं।" रूद्र ने कहा और मृदुल को भी इशारा करके फ्रिज खीसकाने के लिए मदद करने के लिए बुलाया।

 तीनों ने फ्रिज को एक तरफ खिसका दिया।  उसके पीछे केवल दीवार ही दिखाई दे रही थी। रुद्र ने चिराग की तरफ गुस्से से घूरते हुए पूछा,  "कहां है तेरा सबूत..?? यहां पर दीवार के अलावा और कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है।"

 चिराग ने उस छोटे से छेद की तरफ इशारा करते हुए कहा, "तुमने देखा इस छोटे से छेद से बहुत ही सारी लाल चीटियां अंदर जा रही हैं। अभी अभी एक छिपकली मुझ पर गिरी थी.. वह भी इसी छेद के अंदर चली गई।"
 
 "तो इससे क्या साबित होता है..??" मृदुल ने झल्लाते हुए पूछा। 

 "बेवकूफों..! हम यहां इतनी देर से खून के निशान ढूंढ रहे थे। मैंने कहीं पढ़ा था कि लाल चीटियां खून की तरफ आकर्षित होती हैं।  और तो और.. और भी बहुत से छोटे-मोटे कीड़े भी खून की तरफ आकर्षित होते हैं।  और छिपकली तो छोटे-मोटे कीड़ों और चीटियों को चट करने में एक्सपर्ट होती है। हम एक बार देख तो सकते ही हैं। हो सकता है कुछ मिल ही जाए..!!"  चिराग के यह कहने पर रूद्र को भी उसकी बातों में लॉजिक नजर आ रहा था।

रुद्र ने फिर मृदुल से कहा,  "एक बार चेक करने में हर्ज ही क्या है..! हो सकता है कुछ मिल ही जाए!!"  ऐसा कहते हुए रूद्र ने दीवार को उंगली से हल्का सा बजाकर देखा। दीवार से खाली होने की आवाज साफ सुनाई दे रही थी।   ऐसा लग रहा था जैसे वह दीवार सिर्फ किसी चीज को पैक करने के लिए बनाई गई थी। रूद्र ने इधर उधर देखा तो उसे सिर्फ ईमामदस्ता( लोहे का मसाला कूटने का बर्तन) ही दिखाई दिया। रुद्र ने वही किचन में रखे हुए इमामदस्ते की मूसली से उस दीवार में हल्के से मारना करना शुरू कर दिया।
 
कुछ देर तक मूसली से दीवार पर मारने पर वहां पर एक डेढ़ फुट जितना बड़ा गड्ढा बन गया था। दीवार तोड़ने की आवाज सुनकर वह मेड वापस आ गई और उन्हें तोड़फोड़ करते देख पूछा,  "सर ये आप क्या कर रहे हैं..? आप लोग तो यहां कुछ ढूंढने आए थे?? अब आप दीवार तोड़ने लगे.. यह ठीक नहीं है सर..!!"
 
रुद्र ने उस मेड की तरफ घूर कर देखा तो वह थोड़ा सा घबरा गई और तेजी से किचन के बाहर चली गई। 
रुद्र और मृदुल ने मिलकर गड्ढे को और थोड़ा बड़ा किया। तब तक वह मेड रनवीर,  अंजू, अवंतिका और अधिराज जी को भी बुलाकर ले आई थी। सभी लोगों ने उन्हें दीवार तोड़ते देखा।

 "यह आप लोग क्या कर रहे हैं?? आप लोग इन्वेस्टिगेशन के लिए आए थे ना कि हमारे घर में तोड़फोड़ करने के लिए..!" अवंतिका ने कड़क आवाज में पूछा।

 "आए तो हम यहां इन्वेस्टिगेशन के लिए ही थे.. पर अगर हमें कोई भी सबूत दीवार तोड़कर ढूंढना पड़े या फिर जमीन खोद का निकालना पड़े। हम हर काम कर सकते हैं।" मृदुल ने भी उन्हीं की तरह सख्त लहजे में कहा।

 "अब प्लीज आप हमें हमारा काम करने दीजिए। आप लोग चाहे तो यहीं रुक सकते हैं.. या फिर चाहे तो बाहर भी जा सकते हैं.. लेकिन पुलिस के काम में टांग नहीं अड़ा सकते।"  चिराग ने लगभग धमकी देने के स्वर में कहा 

 "मैं भी देखती हूं.. तुम मेरे घर में इस तरह से तोड़फोड़ कैसे कर सकते हो??" इतना कहकर अवंतिका ने कमिश्नर को कॉल लगा दिया था। घर के बाकी सदस्य चुपचाप वहां पर जो कुछ हो रहा था उसे देख रहे थे।

 कमिश्नर ने फोन उठाया तो अवंतिका ने उन्हें डांटना शुरू कर दिया, "कैसे ऑफिसर्स भेजे हैं तुमने कमिश्नर..?? उन्हें बिल्कुल भी तमीज नहीं है। मेरे घर में आकर वह तोड़फोड़ मचाए हुए हैं।"

 सामने से कुछ कहने की आवाज आई और फिर अवंतिका ने कहा, "ठीक है..! ठीक है..! मैं अभी रूद्र को फोन देती हूं। तुम ही उसे समझा दो..!" ऐसा कहकर उन्होंने फोन रुद्र की तरफ बढ़ा दिया।

 रूद्र ने भी फोन लिया और कहा, "जय हिंद सर..!!"

 "जय हिंद..! यह अवंतिका जी क्या कह रही हैं कि तुम लोगों ने उनके घर तोड़फोड़ मचाई हुई है..??" सामने से कमिश्नर की आवाज़ आई।

 "जी सर..! बिल्कुल ठीक कह रही हैं!!" रुद्र ने शांत लहजे में ज़वाब दिया।

 "क्या मैं जान सकता हूं कि ऐसी कौन सी इन्वेस्टिगेशन हो रही है..? जिसकी वजह से तुम्हें उनके घर में जाकर तरह की तोड़फोड़ करनी पड़ रही है? इस तोड़फोड़ को कैसे जस्टीफाई करोगे?"

"बिल्कुल जान सकते हैं सर..! सर हमें इनके घर में दीवारों पर इंफ्रारेड लाइट और स्पेशल कैमरा का यूज करने पर जगह जगह खून के निशान, किसी को पटके जाने के निशान और घसीटे जाने के निशान मिले हैं। और जहां पर हम अभी तोड़फोड़ कर रहे हैं वहां पर भी कुछ बहुत ही जरूरी सबूत मिलने की आशंका है। अगर आप आप हमारे इस तोड़फोड़ से बहुत ज्यादा अपसेट नहीं है.. तो क्या हम अपना काम फिर से शुरू कर दें।" रुद्र ने ठंडे लहजे में कहा। ये सबूतों के बारे में सुनते ही सभी घरवाले स्तब्ध रह गये थे.. सभी थोड़े डरे हुए से दिखाई दे रहे थे।

"बिल्कुल तुम अपना काम कर सकते हो। अवंतिका जी को मैं संभाल लूंगा.. तुम अवंतिका जी को फोन दे दो।" रूद्र ने बिना कुछ कहे फोन अवंतिका की तरफ बढ़ा दिया। 

 अवंतिका ने फोन लेकर बात करने के लिए अपने कान पर लगाया तो कमिश्नर साहब ने उन्हें कुछ समझाया उसके बाद वह पैर पटकती हुई किचन से बाहर चली गई। अवंतिका के किचन से बाहर जाते ही बाकी सब घर वाले और रनवीर भी किचन से बाहर चले गए। 

 रूद्र और मृदुल ने चिराग से कहा, "तूने ही यह ढूंढा है ना.. अब चल तू ही इसके अंदर घुस!!" 

चिराग ने चौंकते हुए उन दोनों की तरफ देखा और कहा,  "मैं ही क्यों..??"

 "अरे भाई..! यहां पर सबूत ढूंढने का आईडिया तेरा ही था ना।  इसीलिए अब तू ही अंदर घुसेगा सबसे पहले..!!"

 चिराग ने मुंह बनाते हुए वहां अंदर जाने का सोचा जैसे ही वो अंदर घुसने वाला था रूद्र ने पकड़ कर उसे रोक लिया और कहा,  "बेवकूफ आदमी..! दिमाग है कि नहीं तेरे पास.. ऐसे ही किसी भी अंधेरी जगह घुस जाएगा। हो सकता है वहां छिपकली और चीटियों के साथ और भी कोई कोई जहरीला कीड़ा बैठा हो.. अभी काट लेगा तुझे। यहां सबूत ढूंढने से पहले तुझे अंतिम विदाई देने का इंतजाम करना होगा।"

 यह कहकर मृदुल और रुद्र दोनों ही हंसने लगे।  उन्हें ऐसे हंसता देखकर चिराग ने मुंह बना लिया।  

उन तीनों ने उस गड्ढे में टॉर्च मारी.. वह बहुत ही अंधेरा सा गड्ढा दिखाई दे रहा था। वो बहुत ही ज्यादा बड़ा नहीं था.. ऐसा लगता था जैसे कुछ समय पहले वहां पर फायरप्लेस रहा होगा। जिसे एक हल्की सी पेपर शीट के ऊपर पीओपी की कोटिंग करके बंद कर दिया गया था। अंदर देखने पर एक लगभग आधी फटी हुई डायरी, कुछ कपड़े, कुछ डेली यूज़ का सामान और एक खून से सनी हुई साड़ी मिली..! 

यह सब देख कर रूद्र, मृदुल और चिराग तीनों ही बहुत ज्यादा शॉक्ड हो गए थे। उन्हें यह बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि इस तरह की चीजें वहां से मिल सकती थी।

 रुद्र और मृदुल ने चिराग को शाबाशी देते हुए कहा, "वैल डन चिराग..! बहुत ही अच्छा.. आज सही वक्त पर तेरा दिमाग नहीं चलता तो हमारे हाथ इतने इंपॉर्टेंट सबूत नहीं लगते। इसीलिए आज मेरी तरफ से तुझे डिनर बनाने से छुट्टी!!" मृदुल ने कहा।

 चिराग मृदुल की बात सुनकर खुश हो गया और उसने रुद्र की तरफ देखा,  "हां..! हां..! और आज का डिनर मेरी तरफ से तुझे ट्रीट..! जा तू भी क्या याद करेगा.. किस दिलदार से पाला पड़ा है!!" ऐसा कहकर रूद्र ने अपनी कॉलर ऊंची की।

 मृदुल,  रुद्र और चिराग तीनों ही यह देखकर मुस्कुरा दिए।  फिर रूद्र ने कहा, "अब ज्यादा टाइम वेस्ट मत करो और जल्दी-जल्दी यह सारे सबूत बैग में डालो। हमें इन्हें जल्द से जल्द समर तक पहुंचाना होगा। ताकि रिपोर्ट जल्दी ही मिल जाए।"

 रूद्र मृदुल और चिराग तीनों ने मिलकर उस पुराने बंद फायर प्लेस से मिले सारे सामान को बैग में पैक करना स्टार्ट कर दिया। आधे घंटे बाद उन्होंने सारा सामान पैक कर लिया तो वह बाहर निकल गए।

 बाहर हॉल में उन्हें रनवीर मिला। रूद्र ने रनवीर से कहा,  "सॉरी रनवीर.. उस दीवार को तोड़ने के लिए.. लेकिन दीवार के पीछे से हमें इस केस के लिए बहुत ही कुछ इंपॉर्टेंट मिला है। तो सॉरी..! अगर तुम कहते हो तो हम उस तोड़फोड़ को ठीक करवा देंगे।"

 "इट्स ओके ऑफिसर..! हम मैनेज कर लेंगे!!" रनवीर ने सीरियसली कहा।

 "हम कल 12:00 बजे फिर से अखिल जी से मिलने और कुछ और इन्वेस्टिगेशन के लिए आएंगे। तो आप प्लीज सभी को बता दीजिएगा। अभी हम चलते हैं!!" मृदुल ने इतना कहा और वो तीनों उस बंगले से बाहर चले गए। 

 बंगले में मिले सारे सबूतों को रुद्र ने अपनी कार में रखवाया और उन्हें लेकर वह फॉरेंसिक लैब के लिए निकल गए। 

जब वो फॉरेंसिक लैब पहुँचें तब तक शाम के 5 बज चुके थे। समर आज जल्दी घर जाने के मूड में था क्योंकि कल रात उसने रुद्र के दिए सैम्पल टेस्ट करने के लिए पूरी रात काम किया था। समर जैसे ही लैब से निकलकर उसकी गाड़ी में बैठने ही वाला था कि रुद्र की कार वहां आकर रुकी। रुद्र ने कार पार्किंग में लगाई और मृदुल, चिराग और रुद्र तीनों ही कार से उतरकर समर के पास पहुंचे।

"समर तुम कहीं जा रहे थे..?" रूद्र ने पूछा।
 
"हां..! घर जा रहा था.. कुछ जरूरी काम है..?" समर ने अपनी कार से उतरते हुए पूछा।

  "काम तो है.. और वह बहुत जरूरी भी है..!!" चिराग ने कहा। 

 "देखो काम कोई भी हो..! पर वह काम अब कल ही होगा। मैं इस हालत में नहीं हूं कि आज रात भी जागकर लैब में तुम्हारे सैंपल टेस्ट करूं।"  समर ने कहा।

 "ऐसा भी क्या हो गया.. जो तुम टेस्ट करने से ही मना कर रहे हो?? कोई गड़बड़ है क्या?? तुम्हारी तबीयत तो ठीक है..??" मृदुल ने समर से पूछा।  

"तबीयत तो ठीक है..! पर अगर आज रात भी काम किया तो कल तक जरूर बिगड़ जाएगी और अगर तुमने आज रात को ही टेस्ट करने के लिए प्रेशराइज किया.. तो मेरी कोई जिम्मेदारी नहीं होगी टेस्ट रिजल्ट्स की।" समर ने अपनी असमर्थता जताई।

 "क्यों..? ऐसा क्या हो गया??" चिराग ने पूछा। 

"कल रात भर जागकर मैंने तुम्हारे लाए हुए सैंपल टेस्ट किए थे। उस कारण से मैं रात भर सो नहीं पाया था और आज भी उन सैंपल्स की रिपोर्ट देने की जल्दी में घर से बस नहा धोकर ही वापस आ गया। कल से 1 मिनट को भी आराम नहीं किया है.. तो यह सैंपल दे दो.. मैं कल दिन में ही टेस्ट कर पाऊंगा।  अभी मैंने करने की कोशिश भी की तो रिजल्ट बिल्कुल भी अच्छे नहीं होंगे। हो सकता है.. कोई गलती हो जाए.. जिसकी वजह से कोई निर्दोष फंस जाए। इसलिए आज के लिए तुम लोग मुझे माफ ही कर दो।" समर ने हाथ जोड़ते हुए कहा।

 "कोई बात नहीं हम सारे के सारे सैंपल तुम्हें दे देते हैं। तुम उन्हें बहुत अच्छे से संभाल कर रखना और कल सुबह आते ही टेस्ट कर देना। यह तो ठीक रहेगा..!" रूद्र ने पूछा।
 
"हां बिल्कुल ठीक रहेगा। इससे सुबह सुबह तुम्हारे आने का टाइम भी बच जाएगा।" समर ने कहा।

 "ठीक है..! मैं अभी सैंपल ले आता हूं!" चिराग ने उन सभी की तरफ देखते हुए कहा और वह कार में से सभी सैम्पल निकालने के लिए चला गया।  

चिराग ने सभी सैंपल निकाल कर समर को देते हुए कहा, "एक काम करो.. समर..! इन सभी सैंपल्स को ले जाकर तुम्हारे केबिन में रख देते हैं और तुम केबिन लॉक करके चाभी साथ ले जाना। ताकि सैंपल सेफ रहे..!"

 "ठीक है..! आओ मेरे साथ!!" समर ने कहा और चिराग को अपने केबिन में ले गया। मृदुल और रुद्र भी पीछे पीछे ही समर के केबिन की तरफ चले गए।

 रूद्र ने समर से कहा, "समर..! यह सारे सैंपल चिराग तुम्हें एक-एक करके संभला देगा और तुम्हें उसी ऑर्डर में टेस्ट करने हैं.. जिस आर्डर में चिराग तुम्हें देगा। क्योंकि इनमें से कुछ सैंपल हमें कल दोपहर तक वापस चाहिए। तो तब तक तुम उन्हें टेस्ट कर लेना।" रुद्र ने कहा। 

 चिराग ने सबसे पहले वह डायरी जो आधी फटी हुई थी समर को दी और कहा, "समर इस डायरी से सबसे पहले फिंगरप्रिंट उठाना और अगर इससे किसी के डीएनए सैंपल मिले तो वह भी कलेक्ट कर लेना और यह डायरी हमें कल दोपहर तक दे देना। आगे की इन्वेस्टिगेशन और इंटेरोगेशन के लिए यह डायरी बेस बनेगी।" चिराग ने उस डायरी की इंपॉर्टेंस समर को समझाइ। 

"ठीक है..! यह डायरी तुम्हें कल सुबह 11:00 बजे तक मिल जाएगी।  मैं सुबह 8:00 बजे ही आकर इसे टेस्ट कर लूंगा।"

 उसके बाद चिराग ने डेली यूज़ के सामान, कुछ कपड़े और एक खून से सनी हुई साड़ी समर को दी और कहा, "इन सब से भी तुम्हें डीएनए और फिंगरप्रिंट मिलेंगे।"

 उसके बाद चिराग ने एक पाउच उठाया.. जिसमें एक छोटा सा कतरन जैसा कुछ दिखाई दे रहा था। चिराग ने रुद्र से पूछा, "रुद्र इसमें क्या है..?" 

रुद्र ने उस पाउच को देखा और कहा, "समर..! इसमें शायद एक कपड़े का जला हुआ टुकड़ा है.. जो काफी समय से पानी में भीग रहा था। मुझे ऐसा शक है कि इस कपड़े से खून साफ किया गया था और बाद में इसे जला दिया गया। तुम इसे टेस्ट करके क्लियर कर देना कि मेरा शक सही है या फिर गलत!!"  समर ने हां में गर्दन हिलाई और वह सैंपल ले लिया।

 उसके बाद एक पाउच में कालिख रखी हुई दिखाई दे रही थी।  समर ने उसकी तरफ इशारा करते हुए पूछा, "और इसमें क्या है..?"

 रूद्र ने कहा, "इस कपड़े को जलाने पर जो धुआं इकट्ठा हुआ होगा शायद ये उसी की कालिख होगी।"

 और फिर रुद्र ने अपने पास से वह कैमरा निकालकर समर को दिया और कहा, "समर इसमें क्राइम सीन की पिक्चर्स है.. तो उन्हें भी तुम एनालाइज करके सारी डिटेल्स कल शाम तक मुझे दे देना।" 

रुद्र ने कहा तो समर ने उसकी बात पर सहमति जताई और कहा, "ठीक है रूद्र..! मैं तुम्हें मैक्सिमम सैंपल्स की फॉरेंसिक रिपोर्ट कल शाम तक दे दूंगा।  पर मैं ट्राई करूंगा कि सारे सैंपल्स की टेस्ट रिपोर्ट  दे पाऊं। अगर कुछ रह जाते हैं तो उनकी रिपोर्ट के लिए तुम्हें 1 दिन और इंतजार करना होगा।"

"ठीक है..! पर उससे ज्यादा लेट मत करना। यह एक बहुत ही ज्यादा हाई प्रोफाइल केस है। बहुत ज्यादा लेट करना हम अफोर्ड नहीं कर पाएंगे।" रुद्र ने कहा।

 "ठीक है तो फिर अब हमें चलना चाहिए!!" चिराग ने कहा।

 सभी ने चिराग की हां में हां मिलाई और समर के केबिन से बाहर निकल गए। समर ने भी बाहर आकर अपने केबिन को लाॅक कर दिया और उन तीनों के साथ अपने घर जाने के लिए निकल गया।



क्रमशः....

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6 Comments

Shrishti pandey

08-Jun-2022 01:58 PM

Nice

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Punam verma

08-Jun-2022 01:41 PM

Very nice part. और कहानी में रहस्य बना हुआ है। खूब लिखे हैं mam

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Seema Priyadarshini sahay

04-Jun-2022 06:11 PM

बहुत खूबसूरत

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Aalhadini

05-Jun-2022 01:33 AM

Thanks 😊 🙏

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